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मंगलवार, 17 मार्च 2015

वक़्त गया वो बीत !

रिश्तों के मन बाग़ में, सूखे जब से फूल !
अपनेपन की तितलियाँ,गई सभी को भूल !!
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नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर !
मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!
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गाँव सभी अब हो गए,राज़नीति के मंच !
झूठी बातें कर रहे,पंचायत और पंच!!
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जिनको पंछी की रही,नहीं कभी पहचान !
कह दूँ कैसे मैं उन्हें ,सुन कोयल की तान !
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सूखा दरख़्त कह रहा.वक़्त गया वो बीत !
हरे जिस्म से थी कभी,जाने कितनी प्रीत !!

रिश्तों के मन बाग़ में, सूखे जब से फूल ! अपनेपन की तितलियाँ,गई सभी को भूल !!

रिश्तों के मन बाग़ में, सूखे जब से फूल !
अपनेपन की तितलियाँ,गई सभी को भूल !!

नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर ! मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!


नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर !
मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!

गाँव सभी अब हो गए,राज़नीति के मंच ! झूठी बातें कर रहे,पंचायत और पंच!!

गाँव सभी अब हो गए,राज़नीति के मंच !
झूठी बातें कर रहे,पंचायत और पंच!!

चक्रव्यूह- सा हो गया,रिश्तों का संसार ! अपने ही लटका रहे,गर्दन पर तलवार !!

चक्रव्यूह- सा हो गया,रिश्तों का संसार !
अपने ही लटका रहे,गर्दन पर तलवार !!

रविवार, 15 मार्च 2015

Dry tree was saying he passed that time ! The green body was ever so beloved go !!

सूखा दरख़्त कह रहा.वक़्त गया वो बीत !
हरे जिस्म से थी कभी,जाने कितनी प्रीत !!
 

All the bird , never recognize ! I can tell them to hear tone cuckoo !!

जिनको पंछी की रही,नहीं कभी पहचान !
कह दूँ कैसे मैं उन्हें ,सुन कोयल की तान !

Die is still alive , Gandhi 's love! Sticks without arms , won the world !! !!

मरकर भी जिन्दा रहा,गांधी जी का प्यार !
बिन लाठी हथियार के,जीत लिया संसार !!

शुक्रवार, 13 मार्च 2015

गुरुवार, 12 मार्च 2015

I sing the song, Collier got depression! I do not know what, give me herpes !!

गाता हूँ जब गीत मैं,खनक उठे अवसाद !
पता नही किस बात की,मिलती मुझको दाद !!

You're in the heart partner, lifetime manned! If you have too, remember me a quick !!

तुम साथी दिल में रहे,जीवन भर आबाद !
क्या तुमने भी है किया,पलभर मुझको याद !!

Let's look at the mind, and give the love that! Every moment of every day, the Holi festival !!

आओ मन को रंग लें ,भर दे ऐसा प्यार !
हर पल हर दिन ही रहे,होली का त्यौहार !!

Sajani! i want to create with you , such a fuss! in your heart let yourself solution, as Gulal live !!

सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल !
तुझमे खुद को घोल दूँ,जैसे रह गुलाल !!

Holi bashes , the world played the faag ! Then die hungry stomach , how melody sung ! !


A question from dev to hungry children ! Wet stone milk , how perverse !!


're Flying bird, leave religion, man! Look up a small world !!! —


Earth said the farmer,Now go up! Own farm chemicals consumed divided by sharing!!



धरती कहे किसान से,जाओ अब तो चेत!
काट -काटकर खा गए,रासायन खुद खेत !!
 

Earth said the farmer,Now go up! Own farm chemicals consumed divided by sharing!!


The world began without water,dry desert ! Own the water , life sir !!


Caste and religion later , the person first ! Drop - drop of water left , to all the attention !!


श्री महेंद्र जैन जी के आवास पर हिसार में चन्दन बल जैन मंच की ओर से काव्य गोष्ठी में


२२ फेब्रुअरी २०१५ को भिवानी में सम्मान समारोह




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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की नौवीं पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ४०-४५
रखते जितना साफ़ है,मन से पूजा-पाठ !
वैसे घर-गालियां बने,हो जायेंगे ठाठ !!
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जाति-धर्म है बाद में,पहले है इंसान !
बूँद-बूँद पानी बचे,करे सभी ये ध्यान !!
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बिन पानी के जग लगे,सूखा रेगिस्तान !
पानी से ही मानिये,जीवन ये श्रीमान !!
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धरती कहे किसान से,जाओ अब तो चेत!
काट -काटकर खा गए,रासायन खुद खेत !!
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उड़ते पंछी कह रहे,छोडो मजहब यार !
थोड़ा उठकर देखिये,छोटा सा संसार !!
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तितली है खामोश ३५-४०

नारी मूरत प्यार की,ममता का भंडार !
सेवा को सुख मानती,बांटे खूब दुलार !!
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तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास !
सोता हूँ माँ चैन से,जब होती हो पास !!
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बिटिया को कब छीन ले,ये हत्यारी रीत !
घूम रही घर में बहू,हिरणी सी भयभीत !!
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अपना सब कुछ त्याग के,हरती नारी पीर !
फिर क्यों आँखों में भरा,आज उसी के नीर !!
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नवराते मुझको लगे,यारों सभी फिजूल !
नौ दिन कन्या पूजकर ,सब जाते है भूल !!
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तितली है खामोश २५-३० 

बीवी-बेटी-माँ -बहन,सब नारी के रूप !
देते शीतल छाँव है,सहकर जलती धूप!!
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ढूंढ रही मुंडेर अब,तोते -कौवे -मोर !
डूब मशीनी शोर में,होती देखो भोर !!
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देकर अपनी जान जो, छोड़ गए है ताज़!
उन वीरों के खून को, याद करे सब आज !!
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ढोंगी बाबा जेल में, देखो आँखें खोल !
कानून बनकर देवता,खोले सबकी पोल !!
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तुम साथी दिल में रहे,जीवन भर आबाद !!
क्या तुमने भी है किया,पलभर हमको याद !!
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तितली है खामोश २०-२५

जब गाता हूँ गीत मैं ,खनक उठे अवसाद !
पता नही किस बात की,मिलती मुझको दाद !!
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आंसू भी कुछ कह रहे,देखो मन से बांच !
हाल हृदय का बोलते,जैसे तन का कांच !!
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तन से तन का मेल तो,किस्मत का त्यौहार !
मन से मन का बोलना,मन-भावन उपहार !!
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चादर एक समेटती,दुखियों का संसार !
दर्द-दर्द को जानता,जुड़ता मन का प्यार !!
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प्रेम-करुणा-स्नेह का,जिस घर में हो वास !
ऎसे घर आँगन सदा,रहें खूब उल्लास !!
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----सत्यवान वर्मा सौरभ
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 —Ramniwas

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तितली है खामोश ३०-३५

सब पैसों के दोस्त है,बस पैसों से प्यार !
देख सुदामा सोचता,मिले कहाँ अब यार !!
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नागफनी है बात में.मन में उगे बबूल !
बोलो कैसे प्यार के, महके यारों फूल !!
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हँसना-रोना साथियों,जीवन की है रीत !
जीयें जी भर ज़िंदगी,हार मिले या जीत !!
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बदले-बदले से लगे,पहने लोग नकाब !
मन में कांटें है छुपे,पर चेहरे गुलाब !!
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ढाई अक्षर प्रेम के,भर दे ऐसा भाव !
ज्योंज्यों बीते ज़िंदगी,त्योंत्यों बढे लगाव !!
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शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

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तितली है खामोश १५ -२० 

सजनी तेरे सँग रचूँ,ऐसा एक धमाल !
तुझमे खुद को घोल दूँ,जैसे रंग गुलाल !
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बदले-बदले रंग है,सूना-सूना फाग !
ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग!
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फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल !!
उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल !
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मन को ऐसे रंग लें ,भर दें ऐसा प्यार !
हर पल हर दिन ही रहे,होली का त्यौहार
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फौजी साजन से करे,सजनी एक सवाल !
भीगी सारी गोरियाँ,मेरे सूने गाल !!
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गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015


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तितली है खामोश ११ -१५

लिखकर खत से भेजिए,साथी सारा हाल !
मिला नहीं ख़त आपका,बीते कितने साल !!
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धन पाने की होड़ में,हमने बोयें शूल !
रिश्तों की संवेदना,सभी गए है भूल !!
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साथी तेरे हो गए,जब से मेरे ख्वाब !
जीवन मेरा हो गया,जैसे फूल गुलाब !!
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हत्यारों के हैं कहाँ ,जाति-धर्म-ईमान !
हिन्दू हिन्द उजाड़ता,मुस्लिम पाकिस्तान !!
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गाँवों में होने लगे ,शहरों से बदलाव!
चलें मशीने रौंदती,आपस का अब चाव !!

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

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तितली है खामोश १-५ 

हर कविता में है छुपी,कवि हरदय की पीर !
दुःख मीरा का है कहीं,रोता कहीं कबीर !!
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दोहे,कविता ,गीत सब,मन से निकले छंद !
भरा सभी में एक-सा,भावों का मकरंद !!
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खूब मिली यूं वेदना,लगी चोट पर चोट !
मेरी सच्ची साधना,जैसे मुझमे खोट !!
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सजनी तेरे प्यार में,कैसी बात अजीब !
जाती जितना दूर हो,लगती मुझे करीब !!
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भाव शून्य कविता हुई,गीत हुए अनबोल !
शब्द बिके बाजार में,अब कौड़ी के मोल !!

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तितली है खामोश ६ -१० 

पंछी रोते देखकर,अपना उजड़ा गाँव !
कहाँ बचे अब पेड़ है,रही कहाँ है छावं!! 
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देखो उतरे कोट का,लगता मोल करोड़ !
वरदी कचरे में मिले,वीर गए जो छोड़ !!
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तोल-मोल के हो गए,कोरट और कानून !
बिन खंजर के देखिये,होते अब तो खून !!
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मुझको भाते आज भी,बचपन के वो गीत !
लोरी गाती मात की,अजब निराली प्रीत !!
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बहरों के संसार में,बोलो किसकी चूक !
लुटती बेटी रोड पर,लोग देखते मूक !!