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सोमवार, 22 अगस्त 2011

कविता-सौरभ: बांटो हिंदी ज्ञान

कविता-सौरभ: बांटो हिंदी ज्ञान: हिंदी भाषा हैं रही , समता की पहचान !! हिंदी ने पैदा किये , तुलसी औ' रसखान !! हिंदी हो हर बोल में , हिंदी पे हो नाज़ ! हिंदी मेंहोने लगे ,...

बांटो हिंदी ज्ञान

हिंदी भाषा हैं रही , समता की पहचान !!
हिंदी ने पैदा किये , तुलसी औ' रसखान !!

हिंदी हो हर बोल में , हिंदी पे हो नाज़ !  
हिंदी मेंहोने लगे ,शासन के सब काज !!

दिल से चाहो तुम , अगर भारत का उत्थान !
परभाषा को त्याग के, बांटो हिंदी ज्ञान !!

हिंदी भाषा हैं रही, जन~जन की आवाज़!
फिर क्यों आंसू रो रही;राष्ट्रभाषा आज !!

हिंदी जैसी हैं नहीं , भाषा रे आसान !
परभाषा से चिपकता,फिर क्यों तू नादान !!

शनिवार, 20 अगस्त 2011

बन जाये इतिहास !

उठो चलो आगे बढ़ो , भूलो दुःख की बात !
आशाओं के रंग में , रंग लो फिर जज्बात !!

नए दौर में हम करें , ऐसा नव प्रयास !
शब्द जो ये कलम लिखे , बन जाये इतिहास !!

बने विजेता वो सदा , ऐसा मुझे यकीन !
आँखों में आकाश हो , पांवो तले जमीन !!

साथी कभी न छोड़ना , नयी भोर की आस !
अंधकार को चीर के, आता सदा प्रकाश !!




फूलों का अहसास !

काँटों को अपनाइए , होते कांटें नेक !
रहके  काँटों बीच ही , खिलते फूल अनेक !!

आओ मिलके सब बढे , नए सत्र की ओर! 
बार~बार पुकार रही , नयी सुहानी भोर !!

बीते कल को भूल के ,चुग डाले सब शूल !
बोये हम नवभोर पे ,सुंदर सुरभित फूल!!

तू भी पायेगा कभी , फूलों की सौगात !
धुन अपनी मत छोड़ना , सुधरेंगे हालात!!

आओ काँटों में भरे , फूलों का अहसास !
ताकि चन्दन से महके , धरती और आकाश !!