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शनिवार, 20 अगस्त 2011

फूलों का अहसास !

काँटों को अपनाइए , होते कांटें नेक !
रहके  काँटों बीच ही , खिलते फूल अनेक !!

आओ मिलके सब बढे , नए सत्र की ओर! 
बार~बार पुकार रही , नयी सुहानी भोर !!

बीते कल को भूल के ,चुग डाले सब शूल !
बोये हम नवभोर पे ,सुंदर सुरभित फूल!!

तू भी पायेगा कभी , फूलों की सौगात !
धुन अपनी मत छोड़ना , सुधरेंगे हालात!!

आओ काँटों में भरे , फूलों का अहसास !
ताकि चन्दन से महके , धरती और आकाश !!

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