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सोमवार, 29 अप्रैल 2013

फिर से नया प्रयास

कांटें साथी जानिए, होते कांटें नेक ।
रह के काँटों बीच ही, खिलते फूल अनेक ॥

बीते कल को भूल के, चुग डाले सब शूल ।
बोयें हम नवभोर पे, सुंदर-सुरभित फूल ॥

पायेगा तू भी कभी, फूलों की सौगात ।
धुन अपनी  मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ॥

आओ, काँटों में भरें, फूलों का अहसास ।
महके-महके - से लगे, धरती औ आकाश ॥

उठो, चलो आगे बढ़ो, भूलों दुख की बात ।
आशाओं के रंग में, रंग ले फिर जज्बात ॥

नए दौर में हम करे, फिर से नया प्रयास ॥
लिखे कलम ने शब्द जो , बन जाये इतिहास ॥

बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।
आँखों में आकाश हो, पांवो  तले जमीन ॥ 

साथी कभी ना छोड़िये, नई भोर की आस ।
अंधियारे को चीर के, आता सदा प्रकाश ॥

आसमान को चीर के , वो ही भरे उड़ान ।
जवां हौसलों में सदा , होती जिनके जान ॥ 
         --------------सत्यवान वर्मा सौरभ,
                         3 3 3 , कविता निकेतन,
                         वार्ड- 1 4 , गाँव- बड़वा,
                         तहसील - सिवानी मंडी,
                         जिला- भिवानी , हरियाणा
                        मोबाइल -0 9 4 6 6 5 2 6 1 4 8