हिंदी भाषा हैं रही , समता की पहचान !!
हिंदी ने पैदा किये , तुलसी औ' रसखान !!
हिंदी हो हर बोल में , हिंदी पे हो नाज़ !
हिंदी मेंहोने लगे ,शासन के सब काज !!
दिल से चाहो तुम , अगर भारत का उत्थान !
परभाषा को त्याग के, बांटो हिंदी ज्ञान !!
हिंदी भाषा हैं रही, जन~जन की आवाज़!
फिर क्यों आंसू रो रही;राष्ट्रभाषा आज !!
हिंदी जैसी हैं नहीं , भाषा रे आसान !
परभाषा से चिपकता,फिर क्यों तू नादान !!
thanks
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