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गुरुवार, 12 मार्च 2015

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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की आठवीं पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ३५-४०

नारी मूरत प्यार की,ममता का भंडार !
सेवा को सुख मानती,बांटे खूब दुलार !!
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तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास !
सोता हूँ माँ चैन से,जब होती हो पास !!
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बिटिया को कब छीन ले,ये हत्यारी रीत !
घूम रही घर में बहू,हिरणी सी भयभीत !!
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अपना सब कुछ त्याग के,हरती नारी पीर !
फिर क्यों आँखों में भरा,आज उसी के नीर !!
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नवराते मुझको लगे,यारों सभी फिजूल !
नौ दिन कन्या पूजकर ,सब जाते है भूल !!
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