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गुरुवार, 12 मार्च 2015


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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की सातवी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ३०-३५

सब पैसों के दोस्त है,बस पैसों से प्यार !
देख सुदामा सोचता,मिले कहाँ अब यार !!
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नागफनी है बात में.मन में उगे बबूल !
बोलो कैसे प्यार के, महके यारों फूल !!
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हँसना-रोना साथियों,जीवन की है रीत !
जीयें जी भर ज़िंदगी,हार मिले या जीत !!
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बदले-बदले से लगे,पहने लोग नकाब !
मन में कांटें है छुपे,पर चेहरे गुलाब !!
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ढाई अक्षर प्रेम के,भर दे ऐसा भाव !
ज्योंज्यों बीते ज़िंदगी,त्योंत्यों बढे लगाव !!
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