"डॉo सत्यवान सौरभ"
जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात ! कौन कहे है सत्य के, बदल गए हालात !! ✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
मंगलवार, 17 मार्च 2015
नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर ! मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!
नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर !
मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें