जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात ! कौन कहे है सत्य के, बदल गए हालात !! ✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
शुक्रवार, 5 जून 2015
हरियाली को खा रहे,पत्थर होते गाँव ! बूढा बरगद है कहाँ,गायब पीपल छाँव !! ------------------------------------- पशु-पक्षी सब ढूंढते,रहने को आवास !! हरियाली ने ले लिया,जंगल से सन्यास! --------------------------------- झुरमुट पेड़ों के गए,है कंकरीट की भीड़ ! उड़ते पंछी खोजते,रहने को अब नीड़ !! -------------------------------------- आँखों को अब है नहीं,रंगो की पहचान ! बिन पत्तों औ फूल के,घर सब रेगिस्तान !! ------------------------------------- गुलदानों में है सजे,अब कागज़ के फूल ! खुश्बू के बदले भरी, है अंदर तक धूल!!
रविवार, 24 मई 2015
मंगलवार, 17 मार्च 2015
वक़्त गया वो बीत !
रिश्तों के मन बाग़ में, सूखे जब से फूल !
अपनेपन की तितलियाँ,गई सभी को भूल !!
-----------------------------------------
नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर !
मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!
----------------------------------------
गाँव सभी अब हो गए,राज़नीति के मंच !
झूठी बातें कर रहे,पंचायत और पंच!!
----------------------------------------
जिनको पंछी की रही,नहीं कभी पहचान !
कह दूँ कैसे मैं उन्हें ,सुन कोयल की तान !
---------------------------------------
सूखा दरख़्त कह रहा.वक़्त गया वो बीत !
हरे जिस्म से थी कभी,जाने कितनी प्रीत !!
अपनेपन की तितलियाँ,गई सभी को भूल !!
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नारी तन को बेचती,आया कैसा दौर !
मूर्त अब वो प्यार की,दिखती है कुछ और !!
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गाँव सभी अब हो गए,राज़नीति के मंच !
झूठी बातें कर रहे,पंचायत और पंच!!
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जिनको पंछी की रही,नहीं कभी पहचान !
कह दूँ कैसे मैं उन्हें ,सुन कोयल की तान !
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सूखा दरख़्त कह रहा.वक़्त गया वो बीत !
हरे जिस्म से थी कभी,जाने कितनी प्रीत !!
रविवार, 15 मार्च 2015
शुक्रवार, 13 मार्च 2015
गुरुवार, 12 मार्च 2015
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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की नौवीं पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ४०-४५
रखते जितना साफ़ है,मन से पूजा-पाठ !
वैसे घर-गालियां बने,हो जायेंगे ठाठ !!
-------------------------- ----------------------
जाति-धर्म है बाद में,पहले है इंसान !
बूँद-बूँद पानी बचे,करे सभी ये ध्यान !!
-------------------------- ----------------------
बिन पानी के जग लगे,सूखा रेगिस्तान !
पानी से ही मानिये,जीवन ये श्रीमान !!
-------------------------- ------------------
धरती कहे किसान से,जाओ अब तो चेत!
काट -काटकर खा गए,रासायन खुद खेत !!
-------------------------- ----------------------
उड़ते पंछी कह रहे,छोडो मजहब यार !
थोड़ा उठकर देखिये,छोटा सा संसार !!
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रखते जितना साफ़ है,मन से पूजा-पाठ !
वैसे घर-गालियां बने,हो जायेंगे ठाठ !!
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जाति-धर्म है बाद में,पहले है इंसान !
बूँद-बूँद पानी बचे,करे सभी ये ध्यान !!
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बिन पानी के जग लगे,सूखा रेगिस्तान !
पानी से ही मानिये,जीवन ये श्रीमान !!
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धरती कहे किसान से,जाओ अब तो चेत!
काट -काटकर खा गए,रासायन खुद खेत !!
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थोड़ा उठकर देखिये,छोटा सा संसार !!
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तितली है खामोश ३५-४०
नारी मूरत प्यार की,ममता का भंडार !
सेवा को सुख मानती,बांटे खूब दुलार !!
-------------------------- ---------------
तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास !
सोता हूँ माँ चैन से,जब होती हो पास !!
-------------------------- ---------------
बिटिया को कब छीन ले,ये हत्यारी रीत !
घूम रही घर में बहू,हिरणी सी भयभीत !!
-------------------------- -------------------
अपना सब कुछ त्याग के,हरती नारी पीर !
फिर क्यों आँखों में भरा,आज उसी के नीर !!
-------------------------- ------------------
नवराते मुझको लगे,यारों सभी फिजूल !
नौ दिन कन्या पूजकर ,सब जाते है भूल !!
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तितली है खामोश ३५-४०
नारी मूरत प्यार की,ममता का भंडार !
सेवा को सुख मानती,बांटे खूब दुलार !!
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तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास !
सोता हूँ माँ चैन से,जब होती हो पास !!
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बिटिया को कब छीन ले,ये हत्यारी रीत !
घूम रही घर में बहू,हिरणी सी भयभीत !!
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अपना सब कुछ त्याग के,हरती नारी पीर !
फिर क्यों आँखों में भरा,आज उसी के नीर !!
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नवराते मुझको लगे,यारों सभी फिजूल !
नौ दिन कन्या पूजकर ,सब जाते है भूल !!
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तितली है खामोश २५-३०
बीवी-बेटी-माँ -बहन,सब नारी के रूप !
देते शीतल छाँव है,सहकर जलती धूप!!
-------------------------- ------------
ढूंढ रही मुंडेर अब,तोते -कौवे -मोर !
डूब मशीनी शोर में,होती देखो भोर !!
-------------------------- ------------
देकर अपनी जान जो, छोड़ गए है ताज़!
उन वीरों के खून को, याद करे सब आज !!
-------------------------- ------------
ढोंगी बाबा जेल में, देखो आँखें खोल !
कानून बनकर देवता,खोले सबकी पोल !!
-------------------------- --------------
तुम साथी दिल में रहे,जीवन भर आबाद !!
क्या तुमने भी है किया,पलभर हमको याद !!
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तितली है खामोश २५-३०
बीवी-बेटी-माँ -बहन,सब नारी के रूप !
देते शीतल छाँव है,सहकर जलती धूप!!
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ढूंढ रही मुंडेर अब,तोते -कौवे -मोर !
डूब मशीनी शोर में,होती देखो भोर !!
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देकर अपनी जान जो, छोड़ गए है ताज़!
उन वीरों के खून को, याद करे सब आज !!
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ढोंगी बाबा जेल में, देखो आँखें खोल !
कानून बनकर देवता,खोले सबकी पोल !!
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तुम साथी दिल में रहे,जीवन भर आबाद !!
क्या तुमने भी है किया,पलभर हमको याद !!
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तितली है खामोश २०-२५
जब गाता हूँ गीत मैं ,खनक उठे अवसाद !
पता नही किस बात की,मिलती मुझको दाद !!
-------------------------- ------------------
आंसू भी कुछ कह रहे,देखो मन से बांच !
हाल हृदय का बोलते,जैसे तन का कांच !!
-------------------------- ------------------
तन से तन का मेल तो,किस्मत का त्यौहार !
मन से मन का बोलना,मन-भावन उपहार !!
-------------------------- ---------------------
चादर एक समेटती,दुखियों का संसार !
दर्द-दर्द को जानता,जुड़ता मन का प्यार !!
-------------------------- --------------
प्रेम-करुणा-स्नेह का,जिस घर में हो वास !
ऎसे घर आँगन सदा,रहें खूब उल्लास !!
-------------------------- -------------
----सत्यवान वर्मा सौरभ
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तितली है खामोश २०-२५
जब गाता हूँ गीत मैं ,खनक उठे अवसाद !
पता नही किस बात की,मिलती मुझको दाद !!
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आंसू भी कुछ कह रहे,देखो मन से बांच !
हाल हृदय का बोलते,जैसे तन का कांच !!
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तन से तन का मेल तो,किस्मत का त्यौहार !
मन से मन का बोलना,मन-भावन उपहार !!
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चादर एक समेटती,दुखियों का संसार !
दर्द-दर्द को जानता,जुड़ता मन का प्यार !!
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प्रेम-करुणा-स्नेह का,जिस घर में हो वास !
ऎसे घर आँगन सदा,रहें खूब उल्लास !!
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----सत्यवान वर्मा सौरभ
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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की सातवी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ३०-३५
सब पैसों के दोस्त है,बस पैसों से प्यार !
देख सुदामा सोचता,मिले कहाँ अब यार !!
-------------------------- ----------
नागफनी है बात में.मन में उगे बबूल !
बोलो कैसे प्यार के, महके यारों फूल !!
-------------------------- -----------------
हँसना-रोना साथियों,जीवन की है रीत !
जीयें जी भर ज़िंदगी,हार मिले या जीत !!
-------------------------- --------------
बदले-बदले से लगे,पहने लोग नकाब !
मन में कांटें है छुपे,पर चेहरे गुलाब !!
-------------------------- -----------
ढाई अक्षर प्रेम के,भर दे ऐसा भाव !
ज्योंज्यों बीते ज़िंदगी,त्योंत्यों बढे लगाव !!
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आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की सातवी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ३०-३५
सब पैसों के दोस्त है,बस पैसों से प्यार !
देख सुदामा सोचता,मिले कहाँ अब यार !!
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नागफनी है बात में.मन में उगे बबूल !
बोलो कैसे प्यार के, महके यारों फूल !!
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हँसना-रोना साथियों,जीवन की है रीत !
जीयें जी भर ज़िंदगी,हार मिले या जीत !!
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बदले-बदले से लगे,पहने लोग नकाब !
मन में कांटें है छुपे,पर चेहरे गुलाब !!
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ढाई अक्षर प्रेम के,भर दे ऐसा भाव !
ज्योंज्यों बीते ज़िंदगी,त्योंत्यों बढे लगाव !!
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शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015
आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की चौथी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश १५ -२०
सजनी तेरे सँग रचूँ,ऐसा एक धमाल !
तुझमे खुद को घोल दूँ,जैसे रंग गुलाल !
-------------------------- -----------------
बदले-बदले रंग है,सूना-सूना फाग !
ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग!
-------------------------- ------------------------
फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल !!
उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल !
-------------------------- -------------------------- --
मन को ऐसे रंग लें ,भर दें ऐसा प्यार !
हर पल हर दिन ही रहे,होली का त्यौहार
-------------------------- -------------------------- -
फौजी साजन से करे,सजनी एक सवाल !
भीगी सारी गोरियाँ,मेरे सूने गाल !!
-------------------------- ------------------------
तितली है खामोश १५ -२०
सजनी तेरे सँग रचूँ,ऐसा एक धमाल !
तुझमे खुद को घोल दूँ,जैसे रंग गुलाल !
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बदले-बदले रंग है,सूना-सूना फाग !
ढपली भी गाने लगी,अब तो बदले राग!
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फागुन बैठा देखता,खाली हैं चौपाल !!
उतरे-उतरे रंग है,फीके सभी गुलाल !
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मन को ऐसे रंग लें ,भर दें ऐसा प्यार !
हर पल हर दिन ही रहे,होली का त्यौहार
--------------------------
फौजी साजन से करे,सजनी एक सवाल !
भीगी सारी गोरियाँ,मेरे सूने गाल !!
--------------------------
गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015
आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की तीसरी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ११ -१५
लिखकर खत से भेजिए,साथी सारा हाल !
मिला नहीं ख़त आपका,बीते कितने साल !!
-------------------------- ------------
धन पाने की होड़ में,हमने बोयें शूल !
रिश्तों की संवेदना,सभी गए है भूल !!
-------------------------- -------------
साथी तेरे हो गए,जब से मेरे ख्वाब !
जीवन मेरा हो गया,जैसे फूल गुलाब !!
-------------------------- ------------
हत्यारों के हैं कहाँ ,जाति-धर्म-ईमान !
हिन्दू हिन्द उजाड़ता,मुस्लिम पाकिस्तान !!
-------------------------- ------------
गाँवों में होने लगे ,शहरों से बदलाव!
चलें मशीने रौंदती,आपस का अब चाव !!
तितली है खामोश ११ -१५
लिखकर खत से भेजिए,साथी सारा हाल !
मिला नहीं ख़त आपका,बीते कितने साल !!
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धन पाने की होड़ में,हमने बोयें शूल !
रिश्तों की संवेदना,सभी गए है भूल !!
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साथी तेरे हो गए,जब से मेरे ख्वाब !
जीवन मेरा हो गया,जैसे फूल गुलाब !!
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हत्यारों के हैं कहाँ ,जाति-धर्म-ईमान !
हिन्दू हिन्द उजाड़ता,मुस्लिम पाकिस्तान !!
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गाँवों में होने लगे ,शहरों से बदलाव!
चलें मशीने रौंदती,आपस का अब चाव !!
बुधवार, 25 फ़रवरी 2015
आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की पहली पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश १-५
हर कविता में है छुपी,कवि हरदय की पीर !
दुःख मीरा का है कहीं,रोता कहीं कबीर !!
-------------------------- -------------
दोहे,कविता ,गीत सब,मन से निकले छंद !
भरा सभी में एक-सा,भावों का मकरंद !!
-------------------------- -------------
खूब मिली यूं वेदना,लगी चोट पर चोट !
मेरी सच्ची साधना,जैसे मुझमे खोट !!
-------------------------- ------------
सजनी तेरे प्यार में,कैसी बात अजीब !
जाती जितना दूर हो,लगती मुझे करीब !!
-------------------------- ------------
भाव शून्य कविता हुई,गीत हुए अनबोल !
शब्द बिके बाजार में,अब कौड़ी के मोल !!
आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की दूसरी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ६ -१०
पंछी रोते देखकर,अपना उजड़ा गाँव !
कहाँ बचे अब पेड़ है,रही कहाँ है छावं!!
-------------------------- -----------
देखो उतरे कोट का,लगता मोल करोड़ !
वरदी कचरे में मिले,वीर गए जो छोड़ !!
-------------------------- -------------
तोल-मोल के हो गए,कोरट और कानून !
बिन खंजर के देखिये,होते अब तो खून !!
-------------------------- -------------
मुझको भाते आज भी,बचपन के वो गीत !
लोरी गाती मात की,अजब निराली प्रीत !!
-------------------------- --------------
बहरों के संसार में,बोलो किसकी चूक !
लुटती बेटी रोड पर,लोग देखते मूक !!
तितली है खामोश १-५
हर कविता में है छुपी,कवि हरदय की पीर !
दुःख मीरा का है कहीं,रोता कहीं कबीर !!
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दोहे,कविता ,गीत सब,मन से निकले छंद !
भरा सभी में एक-सा,भावों का मकरंद !!
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खूब मिली यूं वेदना,लगी चोट पर चोट !
मेरी सच्ची साधना,जैसे मुझमे खोट !!
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सजनी तेरे प्यार में,कैसी बात अजीब !
जाती जितना दूर हो,लगती मुझे करीब !!
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भाव शून्य कविता हुई,गीत हुए अनबोल !
शब्द बिके बाजार में,अब कौड़ी के मोल !!
आप सभी मित्रों के समक्ष ----तितली है खामोश---- की दूसरी पोस्ट सादर हाज़िर है ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में .....आपका दोस्त .....सत्यवान वर्मा सौरभ
तितली है खामोश ६ -१०
पंछी रोते देखकर,अपना उजड़ा गाँव !
कहाँ बचे अब पेड़ है,रही कहाँ है छावं!!
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देखो उतरे कोट का,लगता मोल करोड़ !
वरदी कचरे में मिले,वीर गए जो छोड़ !!
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तोल-मोल के हो गए,कोरट और कानून !
बिन खंजर के देखिये,होते अब तो खून !!
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मुझको भाते आज भी,बचपन के वो गीत !
लोरी गाती मात की,अजब निराली प्रीत !!
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बहरों के संसार में,बोलो किसकी चूक !
लुटती बेटी रोड पर,लोग देखते मूक !!
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015
बुधवार, 18 फ़रवरी 2015
मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015
सोमवार, 16 फ़रवरी 2015
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