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गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

बोलो मेरे राम

जिनके हाथों डोर दी , बेचा उनने देश !
भूख -गरीबी के सिवा , छोड़ा क्या है शेष !!

थाने इज्ज़त लूटतें, कोर्ट करे अन्याय !
बोलो मेरे राम अब, कहाँ मिलेगा न्याय !!



ऊँच-नीच के भेद सब, माती देत मिटाय!
माटी में मिलके सभी, एक रूप हो जाय !!

माटी चन्दन मानिये , माटी गुण की खान !
इस माटी में ही पले, राम-कृषण भगवान!!

बसंत ऋतू के साज़ पर , फूलों ने दी ताल !
सरसों नाची खेत में , थिरकी सारी डाल !!









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