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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

बचपन का वो गाँव !

यादों में आता रहा, बचपन का वो गाँव !
कच्चे घर का आँगना, और नीम की छाँव!!



बैठे-बैठे जब कहीं , आता बचपन याद!
मन चंचल करने लगे, परियों से संवाद !!


मुझको भाते आज भी , बचपन के वो गीत !
लोरी गाती मात की , अजब निराली प्रीत !!



आओ! मेरे साथियो, कर ले उनका ध्यान !
शान देश की जो बने, देकर अपनी जान !!

खूब यहाँ मुझको मिली, यारों की सौगात !
खिंचा सबने हाथ जब, आई दुःख की रात !!

मुझको जीवन से मिले, अलग-अलग अहसास !
कुछ खट्टे अंगूर से, कुछ में भरी मिठास !!

जीवन में सबको मिले, बस इतने उपहार !
महके-महके से रहे , रिश्ते खुशियाँ प्यार !!

भारत में है हर जगह , भाषा-भेष अनेक !
मिलजुल के सारे रहे , बनके सारे एक !!


2 टिप्‍पणियां:

  1. हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ हैं..... बचपन और गाँव की यादें बहुत सुन्दरता से शब्दों में ढाली हैं.....

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