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रविवार, 13 मई 2012

माँ

माँ   ममता की खान है !
माँ  दूजा भगवान  है !!
माँ की महिमा अपरम्पार ,
माँ  श्रेष्ठ और महान है !!!

माँ कविता, माँ है कहानी !
माँ है  दोहों की जुबानी !!
माँ तो सिर्फ माँ ही है , 
ना हिन्दुस्तानी ,ना  पाकिस्तानी !!!
मेरी पूजनीय माता जी श्रीमती कौशल्या देवी जी 

 माँ है फूलों की बहार !
माँ है सुरीली सितार !!
माँ ताल है , माँ  लय है ,
माँ है जीवन की झंकार !!!

माँ बेद है , माँ ही  गीता !
माँ   बिना ये जग  रीता !!
माँ दुर्गा , माँ कौशल्या , 
माँ सरस्वती , माँ सीता !!!

माँ है तुलसी की चौपाई !
माँ है सावन की पुरवाई !!
माँ कबीर की वाणी में ,
माँ है कालजयी रुबाई  !!!

माँ बगिया है, माँ कानन है !
माँ बसंत -सी मनभावन है !!
 आखिर देवों ने भी माना ,
माँ शब्द बड़ा  पावन है!!!

माँ प्रेम की प्रतिमूर्ति !
माँ श्रधा की आदिशक्ति !!
माँ ही हज ,माँ ही मदीना ,
माँ से बड़ी न कोई भक्ति !!!

माँ है सृष्टि का आगाज़ !
माँ है वीणा की आवाज़ !!
माँ है मंदिर , माँ मस्जिद ,
माँ प्रार्थना , माँ है नमाज़ !!!

माँ है गंगा- सी अनूप !
माँ धरती पे  हरी धूब !!
माँ दुःख हरनी माँ कल्याणी,
 अजब  निराले माँ के रूप!!!
- डॉ सत्यवान वर्मा सौरभ , 
333 कविता निकेतन , 
गाँव - बडवा , जिला - भिवानी ,
 हरियाणा - 127 045 
मोबाइल-09466526148 



सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

माँ

माँ कविता है, गीत है, है ममता  की खान !
इस धरती पे है वही,. एक रूप भगवान!!

ममता मानो चल बसी, लज्जित माँ की जात !
बीच झाड़ियों जब मिला , एक शिशु नवजात !!

 

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

देख बुरे हालात !

आज़ादी के बाद भी, देश रहा कंगाल !
जेबें अपनी भर  गए, नेता और दलाल !!

क़र्ज़ गरीबों का घटा, कहे भला सरकार!
विधना के खाते रही, बाकि वही उधार!!

हर क्षेत्र में हम बढे, साधन है भरपूर !
फिर क्यों फंदे झूलते, बेचारे मजदूर !!


 लोकतंत्र अब रो रहा, देख बुरे हालात !
संसद में चलने लगे, थप्पड़-घुसे लात !!

देश बाँटने में लगी, नेताओं की फौज !
खाकर पैसा देश का, करते सारे मौज !!

फूंकेगी क्या-क्या भला, ये आतंकी आग !
लाखों  बेघर हो गए, लाखों मिटे सुहाग !!



गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

करे फूल से प्यार !

जो महके है फूल-सा, करे फूल से प्यार !
पल-पल बढ़ता ही चले, आगे सभी प्रकार!!

यदि धरती ना बांटती, फूलों का उपहार !
तब प्रेमी कैसे भला, कर पाते इज़हार !!

 रखता मन में जो सदा, फूलों-सी मुस्कान !
उसके सारे काम  तब , हो जाते आसान !!


मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

बचपन का वो गाँव !

यादों में आता रहा, बचपन का वो गाँव !
कच्चे घर का आँगना, और नीम की छाँव!!



बैठे-बैठे जब कहीं , आता बचपन याद!
मन चंचल करने लगे, परियों से संवाद !!


मुझको भाते आज भी , बचपन के वो गीत !
लोरी गाती मात की , अजब निराली प्रीत !!



आओ! मेरे साथियो, कर ले उनका ध्यान !
शान देश की जो बने, देकर अपनी जान !!

खूब यहाँ मुझको मिली, यारों की सौगात !
खिंचा सबने हाथ जब, आई दुःख की रात !!

मुझको जीवन से मिले, अलग-अलग अहसास !
कुछ खट्टे अंगूर से, कुछ में भरी मिठास !!

जीवन में सबको मिले, बस इतने उपहार !
महके-महके से रहे , रिश्ते खुशियाँ प्यार !!

भारत में है हर जगह , भाषा-भेष अनेक !
मिलजुल के सारे रहे , बनके सारे एक !!


सोमवार, 5 दिसंबर 2011

गीत हुए अनबोल !

अद्यापन मण्डी हुआ, शिक्षा हुई व्यापर !
छात्र लादे घूमते, पाठ्यक्रम का भार !!

घूम रहे है आजकल, गली-गली में चोर !
खड़ा मुसाफिर सोचता, जाये अब किस ओर !!

कब तक महकेगी भला, ऐसे सदा बहार !
माली ही जब लूटते, कलियों का संसार !!

स्याही,कलम,दावत से, सजने थे जो हाथ !
कूड़ा-करकट बीनते,  नाप रहे फूटपाथ !!

भाव-शून्य कविता हुई, गीत हुए अनबोल !
शब्द बीके  बाज़ार में, जब कौड़ी के मोल !!