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सोमवार, 7 नवंबर 2011

मुझको तुम्हारा प्यार चाहिए !!

कर दे जो मन को तृप्त  
ऐसा एक उपहार चाहिए !
बुझ जाये मन की प्यास ,
मुझको तुम्हारा प्यार चाहिए !!

चाहे अब ये मन नहीं , झरने सा व्याकुल बहना !
चुभन काँटों की लिए , डूबा यादों में रहना !!

दर्द का जो स्वाद बदल दे 
मुझको वो अहसास चाहिए !
बुझ जाये मन की प्यास ,
मुझको तुम्हारा प्यार चाहिए !!

जब- जब तुझपे गीत लिखा ,  नाम तेरे मेरे  मीत लिखा !
 कैसे भूले तुझको साथी , हार को भी मैंने जीत लिखा !!

 पूछो कभी तो हाल मेरा,
अब ना मुझे इंतज़ार चाहिए !
बुझ जाये मन की प्यास ,
मुझको तुम्हारा प्यार चाहिए !!

 उजड़ा उजड़ा जीवन हैं , पीड़ा के छण पी रहा !
 आकर के तुम देख लो, कैसे हूँ मैं जी रहा !!

मन वासंती फिर हो जाये , 
मुझको वही फुहार चाहिए !!
बुझ जाये मन की प्यास ,
मुझको तुम्हारा प्यार चाहिए !!

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