किस से प्रीत लगाऊं मैं -डॉ. सत्यवान वर्मा सौरभ
बिखेर चली तुम साज मेरा, अब कैसे गीत गाऊँ मैं!
तुमने ही जो ठुकरा दिया, अब किस से प्रीत लगाऊं मैं!
सूना सूना सब तुम बिन, रात अँधेरी फीके दिन!
तुम पे जो मैंने गीत लिखे, किसको आज सुनाऊँ मैं!!
रूठे स्वर, रूठी मन वीणा,मुश्किल हुआ तन्हा जीना!
कहो प्रिये! अब तुम बिन, कैसे आज गुनगुनाऊँ मैं!!
सताती हर पल तेरी, यादें बीता मौसम बीती बातें!
टूटी कसमें, टूटें वादें, किसपे आज मर जाऊं मैं!!
-डॉ. सत्यवान वर्मा सौरभ ,३३३, कविता निकेतन , बडवा,( भिवानी) हरियाणा - 127045
bahoot acchi kavita padne ko mili thanks
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