"डॉo सत्यवान सौरभ"
जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात ! कौन कहे है सत्य के, बदल गए हालात !! ✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
शुक्रवार, 19 नवंबर 2010
रचनाकार: सत्यवान वर्मा सौरभ की कविताएँ - बिखेर चली तुम साज मेरा अब कैसे गीत गाऊं मैं
रचनाकार: सत्यवान वर्मा सौरभ की कविताएँ - बिखेर चली तुम साज मेरा अब कैसे गीत गाऊं मैं
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