जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात ! कौन कहे है सत्य के, बदल गए हालात !! ✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
शनिवार, 14 फ़रवरी 2015
गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015
सोमवार, 9 फ़रवरी 2015
शनिवार, 5 जुलाई 2014
यार तू जिगर एक आसमानी बन !
आंधी की ना बात कर तूफानी बन !!
क्यों जला रहा खुद से ही खुद को ,
अगर वो आग है तू तो पानी बन !
तुझे क्या हुआ जो उन्होंने भुला दिया,
तेरी याद सताए ऐसी निशानी बन !
वक़्त के साथ बदले,बदलेंगे रिश्ते ,
तेरे दिल में सदा रहे वो जवानी बन !
ग़ज़लें तो बहुत लिखी ग़ालिब ने भी ,
ये नया दौर है नई एक कहानी बन !
क्या कर लेगी ये पतझर सौरभ का,;;
बस सावन की फुहार मस्तानी बन !
आंधी की ना बात कर तूफानी बन !!
क्यों जला रहा खुद से ही खुद को ,
अगर वो आग है तू तो पानी बन !
तुझे क्या हुआ जो उन्होंने भुला दिया,
तेरी याद सताए ऐसी निशानी बन !
वक़्त के साथ बदले,बदलेंगे रिश्ते ,
तेरे दिल में सदा रहे वो जवानी बन !
ग़ज़लें तो बहुत लिखी ग़ालिब ने भी ,
ये नया दौर है नई एक कहानी बन !
क्या कर लेगी ये पतझर सौरभ का,;;
बस सावन की फुहार मस्तानी बन !
पिछले दिनों पहली हरियाणवी फिल्म चंद्रावल के नायक जगत जाखर के घर जाने का सौभाग्य हुआ ! सुन्देर्हेती जिला झज्जर हरियाणा में उनके घर की कुछ यादें .......पशुओं में टीकाकरण करते हुए हम उनके घर के आगे से गुजर रहे थी की किसी ने बताया ये उनका घर है .... जगत जाखर जी के घर का अंदरूनी भाग का मुख्या द्वार के पिता जी आज भी उनका घर हरियाणवी अंचल को समेटे हुए है
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