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गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015







3 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-02-2015) को "आ गया ऋतुराज" (चर्चा अंक-1889) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत बढ़िया ,चित्र के साथ कथन सजीव हो उठा है l

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  3. हमारे समाज की और हमारी सोच की
    नंगी तस्वीर---एक तरफ प्यार की गुहार
    दूसरी तरफ---चीर-चीर होता प्यार.

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