जहर आज भी पी रहा, बनता जो सुकरात !
कौन कहे है सत्य के, बदल गए हालात !!
✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
रविवार, 16 अक्टूबर 2011
कविता-सौरभ: टूट गए अनुबंध
कविता-सौरभ: टूट गए अनुबंध: मन रहता व्याकुल सदा, पाने माँ का प्यार ! लिखी मात की पतियाँ, बांचूं बार हज़ार !! अंतर्मन गोकुल हुआ, जाना जिसने प्यार ! मोहन हृदय में बसे, रह...
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