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शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

यादों का गुलज़ार !!

मैं प्यासा राही रहा, तुम हो बहती धार!
भर-भर अंजुली बाँट दो,मुझको कविते प्यार !!

जब तुमने यूं प्यार से ,देखा मेरे मीत !
थिरकन पांवो में सजी,होंठो पे संगीत!!

महक रहा हैं आज भी, तेरा-मेरा प्यार !
यादों के संसार में , बनकर के गुलजार !!

चलते-चलते जब कहीं, तुम आते हो याद !
आँखों से होने लगे, आंसूं की बरसात !!

वक्त हुआ ज्यों धुंधला, भूले सारी बात !
पर भुला ना हम सके, साथी तेरा साथ !!

ख़त वो पहले प्यार का, देखू जितनी बार !
महका-महका-सा लगे, यादों का गुलज़ार !!

पंछी बन के उड़ चले, मेरे सब अरमान !
देख बिखेरी प्यार से, जब तुमने मुस्कान !!

छुप-छुप नैना जब लगे, करने आपस बात !
बिन कहे हम कह गए,दिल के सब जज्बात !!

लौटा तेरे शहर में, जब मैं बरसों बाद !
आंसूं बन होने लगी, यादों की बरसात !!






तुम साथी दिल में रहे, जीवन भर आबाद !
क्या तुमने भी किया, किसी वक्त हमें याद !!

आँखों में बस तुम बसे, दिन हो चाहे रात !
साथी तेरे बिन लगे, सूनी हर सौगात !!

लिखके ख़त से भेजिए, साथी सारा हाल !
ख़त पाए अब आपका, बीतें काफी साल !!

खुदा मानकर आपको, सजदे किये हज़ार !
फिर क्यों छोड़ चले, यूं बीच  मंझधार !!

मन दर्पण में देख लूं , जब तेरी  तस्वीर !
आंसूं बन के बह चले, मेरे मन की पीर !!

बिछुड़े साथी तुम कहाँ, लौटों मेरे पास !
कब से तुमको खोजते, नैन मेरे उदास !!

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