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रविवार, 5 मई 2013

मेरे सब अरमान !

मैं प्यासा राही रहा , तुम हो बहती धार!
भर-भर अंजुली बाँट दो, मुझको कविते प्यार !!

तुमने जब यूं प्यार से, देखा मेरे मीत !
थिरकन पांवो में सजी, होंठो पे संगीत !!

महक रहा है आज भी , तेरा-मेरा प्यार !
यादों के संसार में , बनकर के गुलज़ार !!

वक़्त हुआ ज्यों धुंधला,भूले सारी  बात !
पर भुला हम ना  सके , साथी तेरा साथ !!

ख़त वो पहले प्यार का , देखू जितनी बार !
महका-महका-सा लगे, यादों का गुलज़ार !!

पंछी  बन के उड़ चले, मेरे सब अरमान !
देख बिखेरी प्यार से, जब तुमने मुस्कान !!

छुप-छुप नैना जब लगे, करने आपस बात !
होंठों पे आने लगे, दिल के सब जज्बात !!

तुम साथी दिल में रहे, जीवन भर आबाद !
बोलो तुमने भी किया , पल भर हमको याद !!

आँखों में बस तुम बसे , दिन हो चाहे रात !
साथी तेरे बिन लगे , सूनी हर सौगात !!

लिखे ख़त से भेजिए, साथी सारा हाल !
ख़त पाए अब आपका , बीते काफी साल !!

बिछड़े साथी तुम कहाँ , लौटो मेरे पास !
कब से तुमको खोजते , मेरे नैन उदास !!

मन दर्पण में देख लू , जब तेरी तस्वीर !
आंसूं बन के बह चले , मेरे मन की पीर !!

खुदा मानकर आपको , सजदे किया हज़ार !
फिर क्यों छोड़ चले मुझे , यूं बीच मंझधार !!




1 टिप्पणी:

  1. नमस्कार महोदय,
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    आपका स्नेहकांक्षी
    राजेंद्र कुमार

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