कांटें साथी जानिए, होते कांटें नेक ।
रह के काँटों बीच ही, खिलते फूल अनेक ॥
बीते कल को भूल के, चुग डाले सब शूल ।
बोयें हम नवभोर पे, सुंदर-सुरभित फूल ॥
पायेगा तू भी कभी, फूलों की सौगात ।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ॥
आओ, काँटों में भरें, फूलों का अहसास ।
महके-महके - से लगे, धरती औ आकाश ॥
उठो, चलो आगे बढ़ो, भूलों दुख की बात ।
आशाओं के रंग में, रंग ले फिर जज्बात ॥
नए दौर में हम करे, फिर से नया प्रयास ॥
लिखे कलम ने शब्द जो , बन जाये इतिहास ॥
बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।
आँखों में आकाश हो, पांवो तले जमीन ॥
साथी कभी ना छोड़िये, नई भोर की आस ।
अंधियारे को चीर के, आता सदा प्रकाश ॥
आसमान को चीर के , वो ही भरे उड़ान ।
जवां हौसलों में सदा , होती जिनके जान ॥
--------------सत्यवान वर्मा सौरभ,
3 3 3 , कविता निकेतन,
वार्ड- 1 4 , गाँव- बड़वा,
तहसील - सिवानी मंडी,
जिला- भिवानी , हरियाणा
मोबाइल -0 9 4 6 6 5 2 6 1 4 8
रह के काँटों बीच ही, खिलते फूल अनेक ॥
बीते कल को भूल के, चुग डाले सब शूल ।
बोयें हम नवभोर पे, सुंदर-सुरभित फूल ॥
पायेगा तू भी कभी, फूलों की सौगात ।
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात ॥
आओ, काँटों में भरें, फूलों का अहसास ।
महके-महके - से लगे, धरती औ आकाश ॥
उठो, चलो आगे बढ़ो, भूलों दुख की बात ।
आशाओं के रंग में, रंग ले फिर जज्बात ॥
नए दौर में हम करे, फिर से नया प्रयास ॥
लिखे कलम ने शब्द जो , बन जाये इतिहास ॥
बने विजेता वो सदा, ऐसा मुझे यकीन ।
आँखों में आकाश हो, पांवो तले जमीन ॥
साथी कभी ना छोड़िये, नई भोर की आस ।
अंधियारे को चीर के, आता सदा प्रकाश ॥
आसमान को चीर के , वो ही भरे उड़ान ।
जवां हौसलों में सदा , होती जिनके जान ॥
--------------सत्यवान वर्मा सौरभ,
3 3 3 , कविता निकेतन,
वार्ड- 1 4 , गाँव- बड़वा,
तहसील - सिवानी मंडी,
जिला- भिवानी , हरियाणा
मोबाइल -0 9 4 6 6 5 2 6 1 4 8