रहके काँटों बीच ही , खिलते फूल अनेक !!
बीते कल को भूल के, चुग डाले सब शूल!
बोये हम नवभोर पे, सुंदर-सुरभित फूल !!
पायेगा तू भी कभी, फूलों की सौगात !
धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगें हालात!!
आओ काँटों में भरें , फूलों का अहसास !
महके -महके से रहे , धरती औ" आकाश !!
उठो चलो आगे बढ़ो, भूलो दुःख की बात !
आशाओं के रंग में , रंग लो फीर जज्बात !!
नए दौर में हम करे , ऐसा एक नव प्रयास !
शब्द जो ये कलम लिखे , बन जाये इतिहास !!